डूब मरना
राजीव बहुत बड़ी कंपनी मै जनरल मैनेजर की पोस्ट पर काम करता है बड़े शहर मै रहने के कारण उसका उठना बैठना पढ़े लिखे लोगों के साथ ही है उसकी पत्नी दिव्या भी काफी सुंदर है और उसके ग्रुप मैं भी हाई क्लास घर की महिलाएं शामिल है ।
लेकिन राजीव ये कभी नही भूलता की इस कामयाबी के पीछे उसके माता पिता का हाथ है जो गांव मैं खेती करने के बावजूद अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया इस कारण वो उनको काफी बार बोलता है की आप साथ मैं ही आकर रहो अब किस बात की कमी है पर बाबूजी कहते है हमें गांव ही रास आता है और हम यहां खुश है ।
कभी कभी मिलने आ जाते थे पर दिव्या को उनका रहन सहन ,और शक्ल सूरत से भी दिक्कत थी इसलिए वो उनके साथ कहीं घूमने भी नही जाती और आस पड़ोस मैं भी किसी से नही मिलवाती।राजीव इस बार से अनजान था क्योंकि उसके सामने तो ढंग से बात करती और घूमने जाने पर कुछ बहाना मार देती ।
आज दिव्या ने किटी रखी थी घर पर तभी अचानक सास ससुर को आया देख घबरा गई पता चला की पहचान का कोई अस्पताल मैं भर्ती है तो देखने आए है । दिव्या किटी कैंसिल भी नही कर पाई ना ये बोल सकती की आप जल्दी घर मत आना उसने कहा मांजी आप कल देखने चली जाना आज आप अपने हाथों की सब्जी बना दो मेरी सहेली खुश हो जायेंगी ।
सास भी खुशी से तैयारी करने लगी सहेली के आने का वक्त हुआ तो बोली अब आप कुछ देर आराम कर लो मैं आपको बाद मैं मिलवा दूंगी और जैसे ही सहेलियां आई उसने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया ।
काफी देर बाद सास की नींद खुली वो दरवाजा खोलने की कोशिश करती रही पर दरवाजा नही खुला खूब आवाज दी पर दिव्या सुनकर भी अनजान रही जल्दी मैं दिव्या कमरे मै पानी रखना भूल गई थी अब दोनों को प्यास लगी तो घबराहट होने लगी ।
राजीव को पता था मां को अस्पताल जाना है तो वो छुट्टी लेकर जल्दी आ गया देखा दिव्या की सहेली जा रही है । मां की आवाज कानों मैं पड़ी तो दौड़कर गया दरवाजा बंद देख जल्दी से खोला मां को आराम से लिटाया दोनों को पानी दिया
दिव्या घबराकर बोली वो गलती से बंद हो गया होगा ,राजीव को कुछ शक हुआ उसने जोर से चिल्ला कर कहा की तुम्हे आवाज भी सुनाई नही दी तब दिव्या को भी गुस्सा आ गया बोली मैं नही चाहती थी तुम्हारे गंवार मां ,पिता मेरी सहेली के सामने आएं
बेचारे माता पिता चुप रह गए तब राजीव बोला तुम्हे डूब मरना चाहिए ।गंवार माता पिता नहीं तुम हो जो शान के चक्कर मैं सम्मान भूल गईं ।इन माता पिता के कारण मैं यहां तक पहुंचा हूं और तुम जो जिंदगी जी रही हो इन्ही की वजह से ये मेरे लिए भगवान है और इनका अपमान मैं बर्दास्त नही करूंगा तुम जा सकती हो अपने घर ।
दिव्या की स्थिति डूब मरने वाली हो गई उसने बहुत माफी मांगी पर राजीव जिद पर अड़ा रहा फिर मां - बाबूजी से माफी मांगी उनके कहने पर
राजीव ने माफ किया ।
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