टूटी सगाई
जिनकी आंखों में उसके मंगेतर सुधीर द्वारा सगाई तोड़ दिऐ जाने का दंश साफ नजर रहा है।
आज दस दिन हो गए हैं जब वह सड़क पार कर रही थी ।
एक दुर्घटनावश वह सड़क पर गिर पड़ी थी ।
और उसके एक पाँव को कुचलती हुई गाड़ी निकल गई थी ।
उसके बाद ही सुधीर के घर वालों ने रिश्ता तोड़ देने की बात सोची ली और तोड़ दिया।
"हे ईश्वर क्या होने वाला है?"
शुभ्रा के लिए तो मानों क्षण- क्षण पहाड़ हो रहे हैं।
इसी सोच में डूबी हुई शुभ्रा को नमिता उसके बचपन की सहेली आती दिखी शुभ्रा ने उसे पलंग पर ही बैठा लिया ।
नमिता ने उसकी उदासी भांप कर कहा , " क्या बात है मुर्झाई सी लग रही हो?"
'यों ही सोई थी इसलिए तुम्हें लगा '
लेकिन वह नमिता को बहला नहीं सकी ।
नमिता ने उसके सर सहलाते हुए स्नेह से पूछा ,
' क्यों क्या बात सुधीर नहीं आया?'
अब शुभ्रा का गला रुँध रहा था कुछ पल रुक कर उसने कहा ,
"उसने सगाई तोड़ दी "।
बहुत अच्छा किया नमिता की आंखें क्रोध से लाल-पीली हो गई ,
"ईश्वर को धन्यवाद दो तुम बच गई अगर छह महीने बाद यह घटना घटी होती तो?"
'तुम तो उनके लिए बेकार हो जाती जरा सोचो वह तब तुम्हें छोड़ देता तो क्या होता?"।
" सुधीर को तुझसे प्यार नहीं था शुभ्रा तुम बच गई धोखे के अंधे कुएं में गिरने से"।
इस दुख की घड़ी में शुभ्रा और उसकी मां का दिल नमिता की इन वात्सल्य पूर्वक बातों से विश्वास घात और अपमान के घुटन से बाहर निकल चुका है।
और शुभ्रा के चेहरे पर हँसी तो नहीं बिखरी है।
लेकिन अब वह सामान्य दिख रही है।
Credit : Lokesh Kumar Sharma
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