क्या दुनिया में ईश्वर मौजूद है?
एक बार मैंने कॉलेज से
ऑटो किया घर जाने को।
ऑटो वाले ने मुझे पद्मा मार्केट में ही उतार दिया। बोला, माफ करना सर,
ऑटो का पेट्रोल खत्म हो गया है।
आप अंदर से कोई रिक्शा कर लें ,
पास में ही तो आपको जाना हैं...
मैंने उसका किराया दिया,
और मार्केट के अंदर चल दिया।
मुझे ब्लाक ए में जाना था,
तब मैं वही रहता था..
वहां से रिक्शा तो मिल ही जाता है,
लेकिन ढाई बज रहे थे,
तो शायद खाने का टाइम होगा।
इसलिए कोई भी रिक्शा नहीं मिला...
मैने सोचा पास में ही तो घर है,
१० मिनट में पैदल ही पहुंच जाऊंगा।
तो मैं चल दिया पैदल।
मार्केट के बीचो बीच से ही निकलने की सोची।
उस वक्त लगभग सारी दुकानें बंद थी,
जैसा कि दोपहर में होता हैं।
मैंनें मोड़ पार किया तो देखा -
समोसा वाली दुकान खुली हुई है,
और इस वक्त वहां लंच कर रहे
बहुत सारे आस पास के फेरी
और दुकान वाले हैं...
वहां एक रिक्शा भी खड़ा था,
जिसकी हालत बहुत खराब थी,
पुराना सा दिख रहा था,
और सीट भी फटी थी।
मैं थका तो नही था ज्यादा,
लेकिन पता नही किस प्रेरणा से
उस रिक्शे पर घर जाने के लिए सवार हो गया। इतने में एक बूढ़ा दुबला लंबा सा व्यक्ति
मेरी तरफ आया।
वो रिक्शे का मालिक था...
आते ही उसने पूछा- "कहां जाना है?"
मैने बताया।
तो उसने कहा-
" क्या आप मुझे किराया पहले दे सकते हैं ?
मैं सुबह से भूखा हूं।
उसकी बात सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ।
मैने किराए के 20 रुपए उसे दिए,
साथ ही जाकर अलग से एक थाली
खाना भी खरीद दिया...
उसने जल्दी- जल्दी में सारा खाना खा लिया।
फिर रिक्शा से मुझे लेकर चल दिया।
रास्ते में मैंने ही पूछा कि-
आज कमाई नहीं हुई थी क्या भाई ?
तो उसने कहा- "मेरी रिक्शा की हालत
देखकर कोई सवारी नहीं मिलती,
इसे ठीक करना मेरे बस में नहीं।
पैसे की तंगी हैं,
और अकेला मैं ही कमाने वाला,
आज घर से जल्दी निकला
क्योंकि रात से कुछ खाया नहीं था,
पत्नी ने बोला था- देखना,
आज जरूर तुम्हे खाना और किराया मिलेगा।
पर दिन भर कोई सवारी नहीं मिली,
सब मेरे रिक्शे की हालत देखकर छोड़ देते...
समोसे की दुकान के पास मैं
ये सोचकर खड़ा था कि शायद किसी को
सवारी की जरूरत हो।
लेकिन गर्मागर्म खाने की खुशबू से
मन में लालच आ रहा था,
सोच रहा था काश!
खा पाता प्रभु।
और देखो मेरे भगवान ने मेरी सुन ली।
ना जाने कब से इस होटल के खाने को
तरसता था,
मगर खा नही पाता था...
उसकी बाते सुनकर यही लगा कि
शायद ईश्वर ने मुझे इसीलिए
उसके पास भेजा हो ,
ताकि उसका भोजन का प्रबंध हो सके।
उसकी लीला वो ही जाने...
उस दिन पहली बार ईश्वर को
बहुत पास महसूस किया...
ईश्वर एक विश्वास है,
अंतरात्मा की ज्योति है,
सत्य है।
ईश्वर हर एक में हैं,
और हर एक की सुनता भी है।
बस हम किसी की मदद कर के
उन्हें महसूस कर सकते हैं...
आप भी किसी की मदद करके देखिए,
बहुत सुकून मिलता है...
Credit : Makeup ASRM
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